यह कहानी असल जिन्दगी की कहानी है जो हमारे जीवन की असलियत को दर्शाती है. तो चलिए शुरू करते है 30 सालों में कितना कुछ बदल गया.
सन 1990 में मेरा जन्म एक छोटे से गाँव में हुआ और जैसा कि आप जानतें ही हैं कि 4 से 5 साल तक किसी भी बच्चे के लिए दुनिया से कुछ लेना-देना नही होता और उसे कुछ याद भी नही रहता. परन्तु जैसे-जैसे होश आता गया वैसे-वैसे दुनिया में खोता चला गया. उस समय साधन बहुत कम होते थे. गाँव के लोग सुबह उठते और अपनी खेतीबाड़ी का काम करते और अपने जानवरों को घास चराने ले जाते, बस यूँ समझ लो कि उस समय इन्सान खेतीबाड़ी और जानवरों की देखभाल बस इसी में अपना समय व्यतीत करते थे.
उस समय पैसे की कीमत बहुत कम हुआ करती थी और इन्सान अपना गुजारा खेतीबाड़ी और जानवरों से ही किया करता था. उस समय हर छोटी-छोटी सी चीज की कद्र हुआ करती थी. घर में न बिजली होती थी और न ही पानी के नल. दुकानें एक तो होती ही नही थी और होती तो वह भी काफी दूर. यही हाल खेतीबाड़ी में भी था कोई भी आधुनिक मशीन उस समय नही हुआ करती थी और सारा खेतीबाड़ी का काम जानवरों से ही लिया जाता था.
उस समय लोगों में आपस में प्यार भी बहुत हुआ करता था. लोग एक दूसरे के सुख-दुःख में साथ दिया करते थे. उस समय स्कूल बहुत कम हुआ करते थे और कोई भी माँ-बाप अपने बच्चों को स्कूल नही भेजना चाहता था क्योंकि उनका कहना था कि अगर बच्चे स्कूल जायेंगे तो खेतीबाड़ी और घर का काम कौन करेगा. परन्तु स्कूल के मास्टर माँ-बाप को समझा बुझाकर बच्चों को स्कूल में लाने में कामयाब हो गए. कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ.
स्कूल जाते ही घर के कामों से मुक्ति मिलने लगी. कुछ ऐसा ही सभी बच्चों के साथ होने लगा. अब हर माँ-बाप का सपना था कि हमारे बच्चे पढ़ाई करके अच्छी नोकरी हासिल कर लें. समय बीतता गया और हम स्कूल भी जाते और घर का थोडा बहुत काम भी करते. 2017 तक मैंने पोस्ट ग्रेजुएशन और छोटी सी नोकरी हासिल कर ली थी. जिन्दगी इतनी व्यस्त हो गयी थी कभी सोचने का मौका ही नही मिला. ऐसा मेरे साथ ही नही बल्कि हर इन्सान के साथ हो रहा था.
2020 शुरू हुआ हर नये साल की तरह. किसी ने सोचा नही था कि यह साल कैसा रहेगा क्योंकि किसी के पास इतना सोचने का समय ही नही था. क्योंकि हर कोई पैसे की पीछे भागा पड़ा था चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़ जाए. जो पैसा 30 साल पहले इन्सान के लिए कुछ नही हुआ करता था अब वह ही इन्सान के लिए जिन्दगी बन गया है. मार्च में कोरोना जैसी महामारी ने पूरी दुनिया में खलबली से मचा दी. और लॉकडाउन में फंसाकर लोगों को घर में कैद कर दिया.
फिर मैंने सोचा क्यों न अपने पूरे जीवन पर प्रकाश डाला जाए. तो कहानी इस तरह थी कि हर कोई इस पर सोच विचार करेगा. मैंने 30 साल में जो कुछ देखा उसके बारे में सोचना और लिखना शुरू कर दिया जो कि अब मैं आपके सामने पेश कर रहा हूँ.
इन 30 सालों में हम इतना मतलबी हो गया है कि सिर्फ अपने बारे में ही सोचता है. पैसा ही सब कुछ हो गया है चाहे इसके लिए किसी की जान ही क्यों न लेनी पड़ जाए. चोरी, ठगी, हत्या और धोखा ये सब अब आम बात हो गयी है. यहाँ तक कि हम जानवरों के साथ भी अपना मतलब का रिश्ता रखते हैं. यही कारण है कि आजकल गाय, बैल, कुते आदि सभी जानवर सडकों में धक्के खा रहें हैं. हालाँकि इन्हें हम मारने से भी नही कतराते हैं. यहाँ तक देखने को मिला कि जब तक इन जानवरों से हमारा मतलब है तब तक इनकी देखभाल हो रही है फिर मतलब पूरा होने पर छोड़ दिया जाता है.
हर दिन लाखों की संख्या में जानवर हमारे पेट के लिए मौत के घाट उतारे जा रहें हैं. नशा भी हमारे जिन्दगी का हिस्सा बन गया है जिसमें हमने पता नही कौन-कौन से गलत काम कर लिए. कोरोना ने हमें एक बार सोचने को मजबूर कर दिया कि हम क्या कर रहें हैं. परन्तु अब कोरोना के 6 महीने बाद जिन्दगी पहले जैसे चलनी शुरू हो गयी है परन्तु कोरोना ने अभी भी अपने पैर पसारे हुए है.
इन 30 सालों में इतना कुछ बदल जायेगा हमने इस छोटी से कहानी में आपको बताया. परन्तु हमें एक बार फिर से सोचने की जरूरत है कि हम क्या कर रहें हैं और किसके लिए कर रहें हैं. और कभी इसका हिसाब देना पड़ा तो हमारा क्या हाल होगा. तो सोचे एक बार और अपनी कहानी भी हमें बताएं.