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Sunday 20 September 2020

September 20, 2020

मालिक और कुते की दुःख-भरी कहानी, Heart Touching Dog's Story

 

मालिक और कुते की दुःख-भरी कहानी, Heart Touching Dog's Story
Beautiful Dog

मालिक और कुते की दुःख-भरी कहानी, Heart Touching Dog's Story

एक समय की बात है एक गाँव में अरुण नाम का लड़का था उसकी उम्र करीब 4 साल थी. अरुण के माता -पिता घर में एक छोटा सा कुते का बच्चा ले आये. जब अरुण ने कुते को देखा तो वह उससे बहुत डरने लगा और कुछ इसी तरह का हाल कुते का था. परन्तु धीरे-धीरे कुते और अरुण में दोस्ती हो गयी. दोनों साथ में खेलते थे, खाना खाते थे और साथ में ही बाहर घूमने जाते थे. 


इसी बीच अरुण और कुते में बहुत गहरी दोस्ती हो गयी. यहाँ तक कि दोनों एक दूसरे के बिना कुछ पल भी अकेले नही रह सकते थे. उस समय स्कूल बहुत कम हुआ करते थे और जब तक बच्चे 6 साल के न हो जाएँ तब तक उन्हें स्कूल में दाखिला नही मिलता था. अरुण जब 6 साल का हुआ तो उसके माता-पिता ने उसे स्कूल में दाखिला दिलवा दिया.


इसके साथ ही अरुण और कुते में दूरी बनना शुरू हो गयी. पहले-पहले तो अरुण का दिल कुते के बिना स्कूल में नही लगता था परन्तु स्कूल में नये दोस्त बनने से अरुण का मन स्कूल में लगने लगा. परन्तु कुते का मन अरुण के बिना नही लगता था. परन्तु कुछ समय में कुते को भी अकेले रहने की आदत पड़ गयी.


कहते हैं कुता मालिक का वफादार होता है कुछ इसी तरह इस कहानी में भी देखने को मिला. अरुण जब तक घर में न आये तब तक कुता उसका बेसबरी से इन्तेजार करता रहता था. इसी तरह समय बीतता चला गया. जिन्दगी में कब न जानें कैसा मोड़ आ जाए ये किसी को भी नही पता होता और कुछ ऐसा ही इस कहानी में हुआ. 


जब अरुण ने अपनी 12वीं कक्षा की परीक्षा पास कर ली तो वह आगे की पढ़ाई करने के लिए शहर चला गया. अरुण तो अपने दोस्तों के साथ मस्त हो गया और अपने कुते को भूल गया परन्तु कुता अरुण का हर रोज इन्तेजार करता रहता था. कुते ने काफी इन्तेजार किया परन्तु अरुण घर नही आया. कुता हर दिन घर की खिड़की से सड़क पर नजरें टिकाये बैठा रहता था कि कब उसका मालिक घर आ जाए. परन्तु ऐसा नही हुआ.


कुछ दिन ही बीते थे कि कुता बीमार पड़ गया. अरुण के माता-पिता ने काफी इलाज करवाया परन्तु कुता ठीक नही हुआ और ठीक होता भी कैसे क्योंकि वह किस वजह से बीमार पड़ा है ये किसी को भी नही पता था. दरअसल कुते ने अरुण के जाने का इतना गम कर लिया था कि वह बीमार पड़ गया. बीमारी इतनी बढ़ गयी कि कुते ने खाना-पीना छोड़ दिया.


परन्तु कुते को अभी भी इन्तेजार था कि उसका मालिक और दोस्त अरुण अभी भी घर आएगा पर ये कैसे हो सकता था क्योंकि अरुण तो अपनी पूरी पढ़ाई करने के बाद घर आने वाला था. 


हर दिन की तरह अरुण के माता-पिता ने कुते को थोडा बाहर घुमाया पर कुते की नजर उसी सड़क की ओर थी जहाँ से अरुण गया था. इसके बाद कुता फिर से खिड़की के पास बैठ गया और अरुण का इन्तेजार करने लगा. 11 बजे के करीब ठंडी-ठंडी हवा चलने लगी और उधर कुते की तबीयत कुछ ज्यादा ही खराब होने लगी. फिर क्या था अरुण के इन्तेजार में कुते ने आखिरी सांस ली. 


जब अरुण को उसके कुते के बारे में पता चला तो उसको कोई फर्क नही पड़ा और उसने अपने माता-पिता को नया कुता लाने को कह दिया. इसी तरह जिन्दगी फिर वैसे के वैसे चलनी शुरू हो गयी.


साराश: आज की व्यस्त जिन्दगी में हम इतने खो गए हैं कि हम किसी भी परवाह नही करते जो कि बहुत ही गलत है. इस कहानी में आपने अरुण और कुते के बारे पढ़ा जो कि असल कहानी है और यह कहानी हर घर में हो रही है अभी भी. जरूरी नही कि वह कुते और इन्सान की कहानी हो. इसीलिए हर चीज की कद्र करना हमारे लिए जरूरी है.


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