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Saturday 2 January 2021

January 02, 2021

कामयाबी हासिल करने के लिए मेहनत ही जरूरी नही होती- ट्रू लाइफ स्टोरी

हर कोई अपनी जिन्दगी में कामयाब व्यक्ति बनना चाहता है परन्तु कामयाब होने के लिए मेहनत ही जरूरी नही होती है इसीलिए आज हम आपके लिए लायें हैं असल में बीती कहानी. यह कहानी हैं रवि नामक लड़के की तो आइये शुरू करते हैं.

True Life Story on Success


एक समय की बात है गाँव में एक गरीब परिवार रहता था उसमें चार लोग थे, रवि- उसकी बहन और उसके माता-पिता. गरीबी की हालत में भी रवि का अच्छा पालन पोषण हुआ. जब रवि स्कूल जाया करता था अपना मन लगाकर नही पढ़ाई करता था क्योंकि वह अपनी घर की हालत से अनजान था. बचपन में हर बच्चा खेलने-कूदने में अपना समय व्यतीत करना चाहता है कुछ ऐसा ही रवि भी करता था. जबरदस्ती की पढ़ाई करके रवि ने दसवीं पास कर ली. दसवीं के बाद रवि की जिन्दगी में ऐसा मोड़ आया कि जिसे किसी की उम्मीद नही थी.

bachpan ki yadein


रवि ने दसवीं के बाद नामी कंप्यूटर कम्पनी में ट्रेनिंग और जॉब के लिए टेस्ट दिया जो कि उसने पास कर लिया. परन्तु कम्पनी वाले ढेढ़ लाख रूपये की फीस मांगने लगे जिसमें रवि को ३ साल की ट्रेनिंग और उसके बाद जॉब भी दिया जाना था. रवि के घरवालों के पास इतने पैसे नही थे कि वह इतनी फीस दे सकें हालाँकि रवि के रिश्तेदार काफी पैसे वाले थे जिन्होंने ने भी पैसे देने से मना कर दिया. गरीबों की मदद करना कोई नही चाहता ऐसा ही रवि के साथ हुआ.

कहीं मदद नही मिली तो रवि ने आगे की पढ़ाई के लिए सरकारी स्कूल में दाखला ले लिया. ग्यारवीं की पढ़ाई क्या करनी हैं और किस सब्जेक्ट में करनी हैं यह उस समय किताबें मिलने पर डिपेंड होता था. यानी उस समय किताबें इतनी महंगी होती थी कि बच्चे एक दूसरे से पुरानी किताबें ले लिया करते थे और उसी हिसाब से सब्जेक्ट सलेक्ट कर लेते थे.  रवि को कॉमर्स की किताबें मिली और उसने कॉमर्स का सब्जेक्ट सलेक्ट कर लिया. 

रवि को अब दुनियादारी की समझ होने लगी थी इसीलिए वह घर को हलातों को समझते हुए छुट्टी वाले दिन मजदूरी का काम भी करता था जिससे वह अपनी घरवालों की मदद करता था. लाइफ में क्या करना हैं इसकी रवि को कोई समझ नही थी और उस समय कोई बताने वाला भी नही था. जब रवि कॉलेज की पढ़ाई करने लगा तब उसको समझ आया कि उसको लाइफ में कुछ बनना है और घर की गरीबी भी दूर करनी है. 

कॉलेज की जिन्दगी हर किसी की जिन्दगी बदल देती है यही समय होता है जहाँ बच्चे या तो सम्भल जाते हैं या फिर बिगड़ जाते हैं. रवि के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ रवि ने जम के पढ़ाई की और अपना कॉलेज पूरा किया. कॉलेज के बाद रवि आगे की पढ़ाई करके प्रोफेसर बनना चाहता था. परन्तु पैसे न होने के कारण रवि को पढ़ाई छोडनी पड़ी. 

रवि ने अपने लिए छोटी से नौकरी ढूँढ ली ताकि वह अपने घर के हालातों को सुधार ले. रवि ने सरकारी नौकरी पाने के लिए काफी प्रयास किया परन्तु ऐसा हो नही पाया. क्योंकि रवि नौकरी में हो इतना व्यस्त हो गया कि उसे सरकारी नौकरी के टेस्ट की तैयारी करने का मौका ही नही मिला.. 

रवि के मन में अभी भी था कि वह आगे पढ़े और सरकारी नौकरी हासिल करे परन्तु न तो उसके पास समय था और न ही इतना पैसा कि वह अपने सपने पूरे कर  सके. अगर रवि अपनी नौकरी छोड़ देता तो घर का खर्च कैसे चलता क्योंकि बीसवीं सदी में मंहगाई इतनी थी कि उसके न कमाने से घर का खर्च नही चल सकता था. 

ऐसा ही चलता रहा रवि के मन में था कि वह कुछ पैसा इक्ठटा करेगा और फिर से पढ़ाई करेगा और अच्छी नौकरी हासिल करेगा परन्तु अफ़सोस ऐसा नही हुआ. रवि को आज भी आगे पढने और अच्छी नौकरी हासिल करने का इन्तेजार है. 

तो इस तरह रवि ने मेहनत भी की परन्तु कामयाबी हासिल नही कर पाया. तो कैसी लगी आपको यह असली कहानी और अगर आपके पास भी ऐसी कहानी है जो सच्ची हो तो हमें कमेन्ट करके जरुर बताये. 

Sunday 20 September 2020

September 20, 2020

मालिक और कुते की दुःख-भरी कहानी, Heart Touching Dog's Story

 

मालिक और कुते की दुःख-भरी कहानी, Heart Touching Dog's Story
Beautiful Dog

मालिक और कुते की दुःख-भरी कहानी, Heart Touching Dog's Story

एक समय की बात है एक गाँव में अरुण नाम का लड़का था उसकी उम्र करीब 4 साल थी. अरुण के माता -पिता घर में एक छोटा सा कुते का बच्चा ले आये. जब अरुण ने कुते को देखा तो वह उससे बहुत डरने लगा और कुछ इसी तरह का हाल कुते का था. परन्तु धीरे-धीरे कुते और अरुण में दोस्ती हो गयी. दोनों साथ में खेलते थे, खाना खाते थे और साथ में ही बाहर घूमने जाते थे. 


इसी बीच अरुण और कुते में बहुत गहरी दोस्ती हो गयी. यहाँ तक कि दोनों एक दूसरे के बिना कुछ पल भी अकेले नही रह सकते थे. उस समय स्कूल बहुत कम हुआ करते थे और जब तक बच्चे 6 साल के न हो जाएँ तब तक उन्हें स्कूल में दाखिला नही मिलता था. अरुण जब 6 साल का हुआ तो उसके माता-पिता ने उसे स्कूल में दाखिला दिलवा दिया.


इसके साथ ही अरुण और कुते में दूरी बनना शुरू हो गयी. पहले-पहले तो अरुण का दिल कुते के बिना स्कूल में नही लगता था परन्तु स्कूल में नये दोस्त बनने से अरुण का मन स्कूल में लगने लगा. परन्तु कुते का मन अरुण के बिना नही लगता था. परन्तु कुछ समय में कुते को भी अकेले रहने की आदत पड़ गयी.


कहते हैं कुता मालिक का वफादार होता है कुछ इसी तरह इस कहानी में भी देखने को मिला. अरुण जब तक घर में न आये तब तक कुता उसका बेसबरी से इन्तेजार करता रहता था. इसी तरह समय बीतता चला गया. जिन्दगी में कब न जानें कैसा मोड़ आ जाए ये किसी को भी नही पता होता और कुछ ऐसा ही इस कहानी में हुआ. 


जब अरुण ने अपनी 12वीं कक्षा की परीक्षा पास कर ली तो वह आगे की पढ़ाई करने के लिए शहर चला गया. अरुण तो अपने दोस्तों के साथ मस्त हो गया और अपने कुते को भूल गया परन्तु कुता अरुण का हर रोज इन्तेजार करता रहता था. कुते ने काफी इन्तेजार किया परन्तु अरुण घर नही आया. कुता हर दिन घर की खिड़की से सड़क पर नजरें टिकाये बैठा रहता था कि कब उसका मालिक घर आ जाए. परन्तु ऐसा नही हुआ.


कुछ दिन ही बीते थे कि कुता बीमार पड़ गया. अरुण के माता-पिता ने काफी इलाज करवाया परन्तु कुता ठीक नही हुआ और ठीक होता भी कैसे क्योंकि वह किस वजह से बीमार पड़ा है ये किसी को भी नही पता था. दरअसल कुते ने अरुण के जाने का इतना गम कर लिया था कि वह बीमार पड़ गया. बीमारी इतनी बढ़ गयी कि कुते ने खाना-पीना छोड़ दिया.


परन्तु कुते को अभी भी इन्तेजार था कि उसका मालिक और दोस्त अरुण अभी भी घर आएगा पर ये कैसे हो सकता था क्योंकि अरुण तो अपनी पूरी पढ़ाई करने के बाद घर आने वाला था. 


हर दिन की तरह अरुण के माता-पिता ने कुते को थोडा बाहर घुमाया पर कुते की नजर उसी सड़क की ओर थी जहाँ से अरुण गया था. इसके बाद कुता फिर से खिड़की के पास बैठ गया और अरुण का इन्तेजार करने लगा. 11 बजे के करीब ठंडी-ठंडी हवा चलने लगी और उधर कुते की तबीयत कुछ ज्यादा ही खराब होने लगी. फिर क्या था अरुण के इन्तेजार में कुते ने आखिरी सांस ली. 


जब अरुण को उसके कुते के बारे में पता चला तो उसको कोई फर्क नही पड़ा और उसने अपने माता-पिता को नया कुता लाने को कह दिया. इसी तरह जिन्दगी फिर वैसे के वैसे चलनी शुरू हो गयी.


साराश: आज की व्यस्त जिन्दगी में हम इतने खो गए हैं कि हम किसी भी परवाह नही करते जो कि बहुत ही गलत है. इस कहानी में आपने अरुण और कुते के बारे पढ़ा जो कि असल कहानी है और यह कहानी हर घर में हो रही है अभी भी. जरूरी नही कि वह कुते और इन्सान की कहानी हो. इसीलिए हर चीज की कद्र करना हमारे लिए जरूरी है.


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